Sunday, November 18, 2012

लहू की कीमत !



लहू की कीमत का अच्छा आंकलन किया है सरकार ने ,

मरने वाले का ५ लाख और घायल का ५० हज़ार में ,

अगर लहू की कीमत ही चाहिए तो फिर यह आंसू क्यों,

रक्त की गंगा तो शायद ना रुके ,

पर उसके उफान पर इतनी शान्ति क्यों ?

हर उस के रक्त का रंग लाल था ,

शहीद हिन्दू भी था, सिख भी और मुसलमान भी ,

मजहब जरूर सिखा रहा है आपस में बैर रखना ,

पर नहीं सिखा रहा रक्त की धारा बहाना ,

मजहब जरूर सिखा रहा है हिंदी है हम ,

पर मजहब ही कह रहा वतन फिर भी हिंदुस्तान है हमारा !

आतंकवाद कोई मजहब नहीं ,

मजहब तो बस आतंकवाद का खिलौना है ,

चाहे कश्मीर हो या कराची ,सत्ता की भूक का नमूना है !

-----  मेरी सड़ी कवितायेँ !